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"Classical Index of Medicines which is used In Diseases related to Pranvaha Strotas"

स्रोतस आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांतों में विशेष स्थान रखता है। शरीर पंचमहाभूतों से निर्मित होता है, जिनमे से आकाशीय महाभूत द्वारा शारीरिक संरचनाओ में सुषिरता उत्पन्न होती है। उपरोक्त सुषिर रचनाओं द्वारा धातु, मल या अन्य का स्रवण होता है। शरीर दोष, धातु व मल आदि का परिवहन तथा स्रवण करने के कारण इन संरचनाओं को स्त्रोतस कहते हैं। 
"यत् स्रवणात स्रोतांसि"

अर्थात जिनसे स्रवण होता है या जिसमें वहन होता है वे सब स्त्रोतस कहलाते है।  

स्रोतस के भेद:-
ये निम्नानुसार है -
1. प्राणवह स्त्रोतस
2. उदकवह स्त्रोतस
3. अन्नवह स्त्रोतस
4. रसवह स्त्रोतस
5. रक्तवह स्त्रोतस
6. मांसवह स्त्रोतस
7. मेदोवह स्त्रोतस
8. अस्थिवह स्त्रोतस
9. मज्जावह स्त्रोतस
10. शुक्रवह स्त्रोतस
11. मूत्रवह स्त्रोतस
12. पुरीषवह स्त्रोतस
13. स्वेदवह स्त्रोतस

स्त्रोतस दुष्टि के लक्षण:- 

स्त्रोतस की दुष्टि होने वाले चार प्रकार के लक्षण निम्न है-
"अति प्रवृत्ति संगो वा सिराणाम् ग्रन्थयोsपि वा
विमार्गगमनं चापि स्रोतसाम् दुष्टि लक्षणम् ।" (च. वि. 5)

1. अतिप्रवृत्ति - अतिसार, प्रमेह, प्रदर , रक्त पित्त आदि।

2. संग- विबंध , मूत्रावरोध, रक्तस्कंदन आदि।
3. सिरा ग्रंथि - श्लीपद, ग्रंथिक, ज्वर, गंडमाला आदि। 
4. विमार्ग गमन - दोष, धातु आदि का अपने मार्ग से
विपरीत गमन करना आदि।

स्त्रोतस दुष्टि के सामान्य हेतु:-

"आहारश्च विहारश्च यः स्याद् दोषगुणैः समः
धातुभिर्विगुणश्चापि स्रोतसां सः प्रदूषकः ।।" 
(च. वि. 5)

हमारी स्त्रोतस की श्रृंखला में सर्वप्रथम हम प्राणवह स्त्रोतस पर प्रकाश डालेंगे। इसमे हम प्राणवह स्त्रोतस के मूल, प्राणवह स्त्रोतस की दृष्टि से होने वाले रोग व उनकी चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले औषध योगो का संकलन करेंगे।



प्राणवह स्त्रोतस के मूल -
"तत्र प्राणवहे द्वे तयोर्मूलं हृदयं रसवाहीनयश्च धमन्यः।"
 (सु. शा.९/१२)
"तत्र प्राणवहानाम स्त्रोतसाम हृदयं मूलं महास्त्रोतश्च ।"
(च. वि. ५/७)

प्राणवह स्त्रोतस से संबंधित कुछ व्याधियां :-
1. कास
2. श्वास
3. राजयक्ष्मा
4. स्वरभेद
5. हॄदरोग
6. पार्श्वशूल आदि ।


प्राणवह स्त्रोतस की चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण औषध योग :-
1. अर्जुनारिष्ट (भै. र.- हॄदरोग)
2. कनकासव (भै. र.- हिक्का श्वासाधिकार)
3. वासारिष्ट (सिद्ध योग - आसव अरिष्ट - श्वास कास)
4. अगस्त्य हरीतकी (अष्टांग हृदय चि. स्थान ३)
5. च्यवनप्राश (चरक संहिता चिकित्सा स्थान १)
6. चित्रक हरीतकी (भै. र. - नासरोगाधिकार)
7. दशमूल हरीतकी (अष्टांग हृदय चिकित्सा स्थान १७)
8. कंटकारी अवलेह (शा. सं. मध्यम खंड)
9. व्याघ्री हरीतकी (भै. र.- कास चिकित्साधिकार)
10. दशमूल क्वाथ (भै. र. - कासरोगाधिकार)
11. कुलत्थादी कषाय (सिद्ध योग- कषाय योग - श्वास, कास)
12. विदार्यादी क्वाथ (अष्टांग हृदय -सुत्र स्थान १५)
13. कंटकारी घृत (सिद्ध योग- घृत योग प्रकरण - कास)
14. सितोपलादि चूर्ण (शा. सं. मध्यम खंड - कास, श्वास)
15. श्रंग्यादि चूर्ण (योगरत्नाकर - हिक्का, श्वास)
16. तालिसाद्य चूर्ण ( शा. सं. मध्यम खंड - कास, श्वास)
17. धानवन्तर गुटिका (सिद्ध योग - कास, श्वास, हॄदरोग)
18. खदिरादी गुटिका (योगरत्नाकर - कास चिकित्सा)
19. लवंगादी वटी (वैद्य जीवन - कास श्वास चिकित्सा)
20. मरिचादि गुटिका (शा. सं. मध्यम खंड - कास, श्वास)
21. प्रभाकर वटी (भै. र.- हॄदरोगाधिकार)
22. व्योषादी वटी (सिद्ध योग - कास, श्वास)
23. श्रंग भस्म (रस तरंगिणी - हिक्का, कास, श्वास)
24. टंकण भस्म ( आयुर्वेद सार संग्रह - श्वास)
25. चंद्रामृत रस (सिद्ध योग संग्रह - कास, राजयक्ष्मा)
26. चौषठ प्रहरी पिप्पली (आयुर्वेद सार संग्रह - श्वास)
27. हृदयार्णव रस (रस रत्न समुच्चय- हॄदरोग चिकित्सा)
28. कफकुठार रस (र.र.स. - कफज कास, कफज ज्वर)
29. कफकेतु रस (र.र.स. - कफ रोग चिकित्सा)
30. लक्ष्मी विलास रस (भै. र. - कास रोगाधिकार)
31. महालक्ष्मी विलास रस (र.र.स.- कफरोग चिकित्सा)
32. श्रृंगराभृ रस (भै.र. - कास रोगाधिकार)
33. श्वास चिंतामणी (भै. र.- श्वास, कास)
34. श्वासकुठार रस (योग रत्नाकार- श्वास चिकित्सा)
35. बसंत तिलक रस (भै. र. - श्वास, हॄदरोग) आदि।

ये कुछ सामान्य योग है जिनका प्रयोग करके चिकित्सक प्राणवह स्त्रोतस की व्याधियों की चिकित्सा कर सकते है।

      इस प्रकार हमारे स्त्रोतस की श्रृंखला के प्रथम अंक में हमने प्राणवह स्त्रोतस की व्याधियों में प्रयुक्त किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण योगो का संकलन किया है। हमारे अगले अंक में हम उदकवह एवं अन्नवह स्त्रोतस की व्याधियों में प्रयोग किये जाने वाले योगों का संकलन लेकर आएंगे। 

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