हमारे इस अंक में हम अन्नवह व उदकवह स्त्रोतस के मूल, व्याधियों एवं उपयोग में लाये जाने वाले औषध योगों का वर्णन करने जा रहे है।
उदकवह स्त्रोतस के मूल -
"उदकवहे द्वे, तयोर्मूलं तालु क्लोम च।"
(सु. शा.९/१४)
-तालु
- क्लोम
उदकवह स्त्रोतस से संबंधित कुछ व्याधियां :-
1. उदर रोग
2. तृष्णा
3. शोफ।
उदकवह स्त्रोतस की चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण औषध योग :-
१. दशमूल पंचकोलादी कषाय (सिद्ध योग - क्षय योग प्रकरण)
२. नारायण चूर्ण (अष्टांग हृदय - चिकित्सा स्थान १५)
अन्नवह स्त्रोतस के मूल:-
"अन्नवहे द्वे, तयोर्मूलमामाशयो अन्नवाहीनयश्च धमन्यः"।
(सु. शा. ९/१३)
-आमाशय
-अन्नवाही धमनी
अन्नवह स्त्रोतस से संबंधित कुछ व्याधियां:-
1. अग्निमांद्य
2. अजीर्ण
3. अरुचि
4. आनाह
5. आध्मान
6. अम्लपित्त
7. अतिसार
8. ग्रहणी
9.कृमि आदि।
अन्नवह स्त्रोतस की चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण औषध योग :-
१. दंत्याद्यरिष्ट (अष्टांग हृदय -चिकित्सा स्थान ८)
२. जीरकारिष्ट (भै. र. - अग्निमांद्य, अतिसार, ग्रहणी)
३. कुमार्यासव (योगरत्नाकर- गुल्मचिकित्सा)
४. कुटजारिष्ट (भै. र. - अतिसार रोगाधिकार)
५. मुस्तकारिष्ट (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
६. पिप्पलयाद्यसव ( शा. सं. मध्य खंड-१०)
७. पंचकोल चूर्ण (भै. र. - ज्वर रोगाधिकार)
८. शंख भस्म (रस तरंगिणी - अजीर्ण, अग्निमांद्य)
९. धात्री लौह (भै. र. - शूल रोगाधिकार)
१०. बिल्वादी लेह ( सिद्ध योग - अरुचि, अग्निमांद्य)
११. द्राक्षादि कषाय ( अष्टांग हृदय - चिकित्सा स्थान १)
१२. खदिरादी क्वाथ ( सिद्ध योग - कृमि रोग)
१३. लशुन एरंडादि कषाय ( सिद्ध योग - क्षय प्रकरण)
१४. आर्द्रक घृत (सिद्ध योग - अजीर्ण, अग्निमांद्य)
१५. सुकुमार कषाय (अष्टांग हॄदय - अम्लपित्त, शूल)
१६. इंदुकान्त घृत (सिद्ध योग - शूल, गुल्म, वातरोग)
१७. पिप्पलयादी घृत (अष्टांग हॄदय - अरोचक, छर्दी)
१८. षटपल घृत (अष्टांग हॄदय - ग्रहणी, उदर, गुल्म, प्लीहा)
१९. वरुणादि घृत ( सिद्ध योग - उदार विकार, गुल्म)
२०. लवण भास्कर चूर्ण (शा. सं. - अग्निमांद्य, शूल, ग्रहणी)
२१. वृहत गंगाधर चूर्ण (शा. संहिता- प्रवाहिका, अतिसार)
२२. दाड़ीमाष्टक चूर्ण (सिद्ध योग - वातातिसार)
२३. द्राक्षादि चूर्ण ( योगरत्नावली - अग्निमांद्य, छर्दी)
२४. ऐलादी चूर्ण (सिद्ध योग- प्रसेक, अरुचि, छर्दी)
२५. हिंगुवचादी चूर्ण (अष्टांग हॄदय - चिकित्सा स्थान १४/ ३१-३२)
२६. हिंग्वादी चूर्ण ( योगरत्नाकर - गुल्मचिकित्सा)
२७. हिंग्वाष्टक चूर्ण (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
२८. जातिफल चूर्ण (योगरत्नाकर - ग्रहणी, कास, अरुचि)
२९. लवंगादि चूर्ण (शा.सं. - अरुचि, अग्निमांद्य, अतिसार)
३०. कर्पूरादि चूर्ण ( सिद्ध योग - अरुचि, क्षय)
३१. रजन्यादि चूर्ण (अष्टांग हॄदय - अतिसार, ग्रहणी, कामला)
३२. हिंगु त्रिगुण तैल (अष्टांग हॄदय - गुल्म, उदर रोग)
३३. शिवा क्षार पाचन चूर्ण (आयुर्वेद निबंध माला - आध्मान, उदर शूल)
३४. नारीकेल लवण (भै. र. - शूलरोगाधिकार)
३५. अग्नितुण्डि वटी (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
३६. चित्रकादि वटी (चरक संहिता - चिकित्सा स्थान 1१५/९६ )
३७. गंधक वटी (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
३८. कुटजघन वटी (सिद्ध योग संग्रह - अतिसार, प्रवाहिका, ग्रहणी)
३९. लशुनादि वटी (वैद्य जीवनम- विसूचिका, अजीर्ण, अतिसार)
४०. शंख वटी (भै. र.- अग्निमांद्य रोगाधिकार)
४१. संजीवनी वटी ( शा. सं. - अजीर्ण, गुल्म, विसूचिका, सर्पदंश)
"उदकवहे द्वे, तयोर्मूलं तालु क्लोम च।"
(सु. शा.९/१४)
-तालु
- क्लोम
उदकवह स्त्रोतस से संबंधित कुछ व्याधियां :-
1. उदर रोग
2. तृष्णा
3. शोफ।
उदकवह स्त्रोतस की चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण औषध योग :-
१. दशमूल पंचकोलादी कषाय (सिद्ध योग - क्षय योग प्रकरण)
२. नारायण चूर्ण (अष्टांग हृदय - चिकित्सा स्थान १५)
अन्नवह स्त्रोतस के मूल:-
"अन्नवहे द्वे, तयोर्मूलमामाशयो अन्नवाहीनयश्च धमन्यः"।
(सु. शा. ९/१३)
-आमाशय
-अन्नवाही धमनी
अन्नवह स्त्रोतस से संबंधित कुछ व्याधियां:-
1. अग्निमांद्य
2. अजीर्ण
3. अरुचि
4. आनाह
5. आध्मान
6. अम्लपित्त
7. अतिसार
8. ग्रहणी
9.कृमि आदि।
अन्नवह स्त्रोतस की चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण औषध योग :-
१. दंत्याद्यरिष्ट (अष्टांग हृदय -चिकित्सा स्थान ८)
२. जीरकारिष्ट (भै. र. - अग्निमांद्य, अतिसार, ग्रहणी)
३. कुमार्यासव (योगरत्नाकर- गुल्मचिकित्सा)
४. कुटजारिष्ट (भै. र. - अतिसार रोगाधिकार)
५. मुस्तकारिष्ट (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
६. पिप्पलयाद्यसव ( शा. सं. मध्य खंड-१०)
७. पंचकोल चूर्ण (भै. र. - ज्वर रोगाधिकार)
८. शंख भस्म (रस तरंगिणी - अजीर्ण, अग्निमांद्य)
९. धात्री लौह (भै. र. - शूल रोगाधिकार)
१०. बिल्वादी लेह ( सिद्ध योग - अरुचि, अग्निमांद्य)
११. द्राक्षादि कषाय ( अष्टांग हृदय - चिकित्सा स्थान १)
१२. खदिरादी क्वाथ ( सिद्ध योग - कृमि रोग)
१३. लशुन एरंडादि कषाय ( सिद्ध योग - क्षय प्रकरण)
१४. आर्द्रक घृत (सिद्ध योग - अजीर्ण, अग्निमांद्य)
१५. सुकुमार कषाय (अष्टांग हॄदय - अम्लपित्त, शूल)
१६. इंदुकान्त घृत (सिद्ध योग - शूल, गुल्म, वातरोग)
१७. पिप्पलयादी घृत (अष्टांग हॄदय - अरोचक, छर्दी)
१८. षटपल घृत (अष्टांग हॄदय - ग्रहणी, उदर, गुल्म, प्लीहा)
१९. वरुणादि घृत ( सिद्ध योग - उदार विकार, गुल्म)
२०. लवण भास्कर चूर्ण (शा. सं. - अग्निमांद्य, शूल, ग्रहणी)
२१. वृहत गंगाधर चूर्ण (शा. संहिता- प्रवाहिका, अतिसार)
२२. दाड़ीमाष्टक चूर्ण (सिद्ध योग - वातातिसार)
२३. द्राक्षादि चूर्ण ( योगरत्नावली - अग्निमांद्य, छर्दी)
२४. ऐलादी चूर्ण (सिद्ध योग- प्रसेक, अरुचि, छर्दी)
२५. हिंगुवचादी चूर्ण (अष्टांग हॄदय - चिकित्सा स्थान १४/ ३१-३२)
२६. हिंग्वादी चूर्ण ( योगरत्नाकर - गुल्मचिकित्सा)
२७. हिंग्वाष्टक चूर्ण (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
२८. जातिफल चूर्ण (योगरत्नाकर - ग्रहणी, कास, अरुचि)
२९. लवंगादि चूर्ण (शा.सं. - अरुचि, अग्निमांद्य, अतिसार)
३०. कर्पूरादि चूर्ण ( सिद्ध योग - अरुचि, क्षय)
३१. रजन्यादि चूर्ण (अष्टांग हॄदय - अतिसार, ग्रहणी, कामला)
३२. हिंगु त्रिगुण तैल (अष्टांग हॄदय - गुल्म, उदर रोग)
३३. शिवा क्षार पाचन चूर्ण (आयुर्वेद निबंध माला - आध्मान, उदर शूल)
३४. नारीकेल लवण (भै. र. - शूलरोगाधिकार)
३५. अग्नितुण्डि वटी (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
३६. चित्रकादि वटी (चरक संहिता - चिकित्सा स्थान 1१५/९६ )
३७. गंधक वटी (भै. र. - अग्निमांद्य रोगाधिकार)
३८. कुटजघन वटी (सिद्ध योग संग्रह - अतिसार, प्रवाहिका, ग्रहणी)
३९. लशुनादि वटी (वैद्य जीवनम- विसूचिका, अजीर्ण, अतिसार)
४०. शंख वटी (भै. र.- अग्निमांद्य रोगाधिकार)
४१. संजीवनी वटी ( शा. सं. - अजीर्ण, गुल्म, विसूचिका, सर्पदंश)
४२. वायु गुटिका (सिद्ध योग- अजीर्ण, मूर्च्छा)
४३. पंचामृत पर्पटी (भै. र.- ग्रहणी रोगाधिकार)
४४. रस पर्पटी (भै. र. - ग्रहणी रोगाधिकार)
४५. सुवर्ण पर्पटी(भै. र. - ग्रहणी रोगाधिकार)
४६. अग्नि कुमार रस (भै. र.- ग्रहणी रोगाधिकर)
४७. ग्रहणी कपाट रस (योगरत्नाकर- अतिसार, ग्रहणी)
४८. गंगाधर रस (आयुर्वेद सार संग्रह- अतिसार)
४९. इच्छाभेदी रस (भै. र.- उदर रोगाधिकार)
५०. कामदुधा रस (आयुर्वेद सार संग्रह - अम्लपित्त, दाह)
५१. कर्पूर रस (भै. र. - ज्वारातिसार, रक्त प्रवाहिका)
५२. कृमिघ्न वटिका (सिद्ध योग -कृमि)
५३. कृमिकुठार रस (रसामृत - कृमि, शूल, अजीर्ण)
५४. लघु सुतशेखर रस (योग संग्रह- अम्लपित्त, प्लीहोदर)
५५. लीलाविलास रस(भै. र. - अम्ल पित्ताधिकार)
५६. प्रवाल पंचामृत (योगरत्नाकर - आध्मान, अग्निमांद्य, उदर शूल)
५७. पीयूष वल्ली रस (भै. र. - ग्रहणी रोगाधिकार)
५८. सुतशेखर रस (योगरत्नाकर- अम्लपित्त चिकित्सा)
इस प्रकार से उदकवह व अन्नवह स्त्रोतस के कुछ महत्वपूर्ण Classic Medicinal Index का वर्णन कर दिया है ।
अगले अंक में हम रसवह स्त्रोतस के Index को लेकर आएंगे।
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