Ayurinformatics द्वारा स्त्रोतस से संबंधित औषधीय योगों के संकलन की श्रृंखला में इस बार मांसवह एवं मेदोवह स्त्रोतस की व्याधीयां और उनमें प्रयोग किये जाने वाले योगों को वर्णित किया जाएगा।
मांसवह स्त्रोतस के मूल :-
मांसवहानां च स्त्रोतसां स्नायुर्मूलं त्वक च।
(च. वि.)
मांसवहे द्वे, तयोर्मूलं स्नायुत्वचं रक्तवहाशच धमन्यः।
(सु. शा.)
मांसवह स्त्रोतस से संबंधित कुछ व्याधीयां :-
- गलगण्ड
- गण्डमाला
- अपची
- अर्बुद आदि।
उपरोक्त व्याधियों में प्रयोग किये जाने वाले कुछ औषध योग:-
गुग्गुलु :-
कांचनार गुग्गुलु (शा. सं.- गण्डमाला, अपची, अर्बुद, ग्रंथी)
कांचनार गुग्गुलु (शा. सं.- गण्डमाला, अपची, अर्बुद, ग्रंथी)
तैल :-
निर्गुण्डी तैल (भै. र.- गण्डमाला, अपची)
वचादि तैल ( सिद्ध योग - अपची)
मेदवह स्त्रोतस के मूल :-
मेदोवहानां स्त्रोतसां वृक्कौ मूलं वपावहनं च।
(च. वि.)
मेदोवहे द्वे, तयोर्मूलं कटी वृक्कौ च।
(सु. शा.)
मेदोवह स्त्रोतस से संबंधित कुछ व्याधीयां :-
- प्रमेह
- प्रमेह पिड़िका
- स्थौल्य आदि।
उपरोक्त्त में प्रयोग किये जाने वाले कुछ योग :-
आसव / अरिष्ट / क्वाथ :-
देवदारव्यारिष्ट (भै. र.- प्रमेह रोगाधिकार)
मधुकासव (सिद्धयोग- प्रमेह, कुष्ठ)
भृंगराज आसव (सिद्ध योग- प्रमेह, धातुक्षय)
कतक खादिरादी कषाय (सिद्ध योग- प्रमेह)
निशा कतकादी कषाय (सिद्ध योग- प्रमेह)
चूर्ण :-
अमृतादि चूर्ण (सिद्ध योग- प्रमेह, मधुमेह)
निशामलकी (अष्टाङ्ग हॄदय- मधुमेह)
गुग्गुलु :-
नवक गुग्गुलु (भै. र.- मेदोरोगजन्य विकार)
मधुकासव (सिद्धयोग- प्रमेह, कुष्ठ)
भृंगराज आसव (सिद्ध योग- प्रमेह, धातुक्षय)
कतक खादिरादी कषाय (सिद्ध योग- प्रमेह)
निशा कतकादी कषाय (सिद्ध योग- प्रमेह)
चूर्ण :-
अमृतादि चूर्ण (सिद्ध योग- प्रमेह, मधुमेह)
निशामलकी (अष्टाङ्ग हॄदय- मधुमेह)
गुग्गुलु :-
नवक गुग्गुलु (भै. र.- मेदोरोगजन्य विकार)
वटी :-
चंद्रप्रभा वटी (शा. सं.- प्रमेह, मूत्रकृच्छ)
चंदनादि वटी (सिद्ध योग संग्रह- प्रमेह, मूत्रदाह)
चंद्रकला वटी (सिद्ध योग संग्रह- प्रमेह, स्वप्नदोष)
शुक्रमातृका वटी (भै. र.- प्रमेह, शुक्रमेह)
भस्म :-
स्वर्ण वंग (रसामृत- प्रमेह)
नाग भस्म (शा. सं.- प्रमेह, अर्श)
त्रिवंग भस्म (सिद्ध योग- मधुमेह, प्रमेह)
अभ्रक भस्म (आयुर्वेद प्रकाश - प्रमेह, पाण्डु)
रस :-
वृहत वंगेश्वर रस (भै. र.- प्रमेह, मूत्ररोग)
बहुमूत्रांतक रस (सिद्ध योग- मधुमेह, सोमरोग)
प्रमेह गजकेसरी रस ( आयुर्वेद सार संग्रह- प्रमेह, मधुमेह)
सोमनाथ रस (भै. र.- मूत्रदाह, प्रमेह)
वसंत कुसुमाकर रस ( रसेन्द्र सार संग्रह- प्रमेह, सोमरोग)
तारकेश्वर रस (भै. र.- बहुमूत्र, शुक्रमेह)
शिलाजत्वादि लौह (भै. र.- प्रमेह, राजयक्ष्मा) आदि।
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